भूमाफिया चीन की नजर लंबे असरे भारत के कुछ इलाकों पर है। चीन अरुणाचल समेत भारत के कई हिस्सों पर कब्जा करना चाहता है और इसी कड़ी में वो कभी डोकलाम में घुसपैठ की कोशिश करता है तो कभी अरुणाचल के ऊपरी हिस्से में चोरी छुपे सड़क बनाना चाहता है। इसी कड़ी में दिसंबर के महीने में चीनी सैनिक अरुणाचल के ऊपरी सियांग जिले के तूतिंग इलाके में मैकमोहन लाइन से तकरीबन 1.25 किलोमीटर भीतर भारतीय इलाके में घुस गया और सड़के बनाने की कोशिश करने लगा। शुरुआत में चीनी सैनिकों की इस कारगुजारी का सरहद के पास तैनात अधिकारियों को भनक तक नहीं लगी और जब भनक भी लगी तो वो इसे चीनी इलाका समझकर हरकत में नहीं आए। सबसे हैरानी की बात यह है कि इस इलाके में तैनात प्रशासनिक अधिकारियों को यह तक नहीं पता था कि यह इलाका भारत के हिस्से में है। बाद में एक अधिकारी ने गुगल पर इस इलाके को सर्च किया। सर्च करने पर पता चला कि ये भारतीय इलाका है और चीनी सैनिक सड़क बनाने के सामान के साथ यहां डेरा जमाए हुए हैं। इसके बाद भारतीय सैनिकों ने उनका विरोध किया फिर यहां से चीनी सैनिक वापस जाने को मजबूर हुए।
दरअसल चीनी सैनिकों ने इसबार जिस इलाके में घुसपैठ के बाद सड़कें बनाने की कोशिश की वो सियांग नदी के पूर्वी सिरे पर स्थित है। यह नदी तिब्बत के यारलुंग सांगपो से निकलती है। चीनी इस इलाके में अंतरराष्ट्रीय सीमा के जरिए आसानी से घुस आते हैं, जबकि बिशिंग गांव के लिए भारत की ओर से कोई सड़क ही नहीं है। गांव के लोगों को 4 किलोमीटर पैदल चलकर सियांग नदी पर बने एक पुल तक जाना पड़ता है। यहां प्रधानमंत्री ग्राम योजना के तहत भी सड़के नहीं बनाई जा सकी है। क्योंकि इस गांव में महज 16 घर हैं और कुल आबादी महज 54 है, जबकि प्रधानमंत्री ग्राम योजना के तहत सड़क बनने के लिए गांव की आबादी कम से कम 10 होनी चाहिए।
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