हर साल ब्रह्मोस जैसी 5000 मिसाइल बनाने का पैसा हम चीन को देते हैं, बहिष्कार 1 मात्र उपाय है.
सरहद पर भारत के बर्मोस से घबराया चीन .......
देश के (उतर- पूर्व) में बारह्मोस मिसाइल तेनात किये जाने के बाद से ही "ड्रेगन" को सर दर्द सुरु हो गया है |तिलमिलाए चीन ने कहा है की अगर भारत ऐसा कोई कदम उठाता है तो यह सीमा पर अस्थिरता को बढ़ावा देगा| और सीमा पर सथिरता को नकारात्मक रूप से परभावित करेगा |दरअसल भारत का चीन से एक तरफा व्यापार 388000 करोड़ का है आप एक बार फिर पढ़ लो (तीन लाख अठासी हजार करोड़.)
बता दें कि अन्तराष्ट्रीय भाषा में 59.8 डॉलर, ये एक साल का आंकड़ा है. अगर इसका 30% प्रॉफिट मार्जिन भी निकला जाए तो हर साल १ लाख ४० हजार करोड़ का फायदा चीन को हर साल हो रहा है |हालाँकि १ एक बह्मोस जेसी विनाशकारी आत्या आधुनिक मिसाइल बनाने में २७ करोड़ का खर्च आता है |१.४ लाख करोड़ में ऐसी ५००० मिसाइल बने जा सकती हं |अब ये आप लोगो के हाथ में है के आप देश के साथ हो या देश के दुसमन के साथ |सतो हम ये नही कह रहे के चीन सरे पैसो से मिसाइल ही बनेगा लेकिन फिर भी इसमें से काफी सारा पैसा पाकिस्तान को जाएगा जो हमारे देश के खिलाफ ही उसे होगा |जिस से पाकिस्तान हथियार और आतंकवाद दोनों को बढ़ावा देता है |इतना ही नही चीन खुद भी हमारे पैसे का इस्तेमाल हमारे ही खिलाफ करता है |और भारतीय बोर्डर पर अपनी आर्मी का रख रखाव इसी पैसे से करता है |
कुछ लोग सर्कार से चीनी सामान का वोइरोध भी करते है |और चीनी सामान पर पूरण प्रतिबंध के हक में है |
उनको बता दें कि WTO की व्यापार नीति के अंतर्गत कोई भी देश जिसने WHO पर हस्ताक्षर किये हैं. वो किसी भी WHO पर हस्ताक्षर किये हैं. वो किसी भी देश से व्यापार पर प्रतिबन्ध नहीं लगा सकता है.